सुदूर दक्षिण में इतिहास का उद्भव (प्राचीन भारत का इतिहास)

महापाषाणिक पृष्ठभूमि   प्रागैतिहासिक युग के बाद कई वस्तुएँ, ऐतिहासिक युग की शुरुआत का संकेत प्रा देती देती हैं-जैसे लोहे के फाल वाले हल से खेतों की जुताई करने वाले … Read More

शिल्प, वाणिज्य और शहरी विकास (प्राचीन भारत का इतिहास)

(ई.पू. 200-सन् 250)   शिल्प और शिल्पकार   शकों, कुषाणों, सातवाहनों (ई.पू. 200-सन् 250) और प्रथम तमिल राज्यों का शक काल, प्राचीन भारत के शिल्प और वाणिज्य के इतिहास में … Read More

गुप्त साम्राज्य का उद्भव और विकास (प्राचीन भारत का इतिहास)

पृष्ठभूमि   मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद, सातवाहन और कुषाण दो बड़ी शक्तियों के रूप में मौ उभरे। सातवाहनों ने दक्कन और दक्षिण में स्थायित्व लाने का काम किया। … Read More

गुप्त काल में जनजीवन (प्राचीन भारत का इतिहास)

शासन प्रणाली   मौर्य शासकों के विपरीत, गुप्त राजवंशों ने परमेश्वर, महाराजाधिराज और परमभट्टारक मौ || जैसी आडंबरयुक्त उपाधियाँ अपनाईं। जिनसे यह विदित होता है कि उन्होंने अपने साम्राज्य में … Read More

पूर्वी भारत में सभ्यता का प्रसार (प्राचीन भारत का इतिहास)

सभ्यता के लक्षण   किसी क्षेत्र को तभी सभ्य माना जाता है जब वहाँ पर कुछ बुनियादी विशेषताएँ विकसित ‘हों, जैसे लिखने का ज्ञान, कर संचय की विकसित प्रणाली, धार्मिक, … Read More

हर्ष एवं उनका काल (प्राचीन भारत का इतिहास)

  हर्ष का साम्राज्य   बिहार और उत्तर प्रदेश स्थित केंद्र से, गुप्त ने उत्तर एवं पश्चिम भारत पर लगभग बि 160 साल तक, अर्थात् छठी शताब्दी के मध्य तक … Read More

प्रायद्वीप में ब्राह्मणीकरण, ग्रामीण विस्तार और किसान प्रतिरोध (प्राचीन भारत का इतिहास)

नया चरण   सन् 300-750 की अवधि विन्ध्य के दक्षिणी क्षेत्रों में दूसरे ऐतिहासिक चरण को सदश सदर्शाती है। इस चरण में भी प्रथम ऐतिहासिक चरण (ई.पू. 200 से सन् … Read More

दर्शन का विकास (प्राचीन भारत का इतिहास)

जीवन का लक्ष्य   जब राज्य और वर्णभेद आधारित सामाजिक व्यवस्था मजबूती से स्थापित हो गए तो प्राचीन विचारकों ने व्यक्ति को चार लक्ष्यों की प्राप्ति का सन्देश दिया। ये … Read More

एशियाई देशों के साथ सांस्कृतिक सम्बन्ध (प्राचीन भारत का इतिहास)

विश्व के अन्य देशों से भारत का सम्बन्ध   मध्ययुगीन नीति-निर्माताओं और विभिन्न टीकाकारों ने ने लिखा था कि किसी भी व्यक्ति को समुद्र पार नहीं जाना चाहिए। इससे ऐसा … Read More

प्राचीन काल से मध्यकाल (प्राचीन भारत का इतिहास)

 संकट और कृषि परिवर्तन चीन भारतीय समाज को मध्ययुगीन समाज में बदलने की मुख्य कारक अन्ततः प्राभूमि अनुदान प्रथा ही थी। यह सहाज में बदलने की मुख्य कारक अन्ततः के … Read More